शैलेश श्रीवास्तव का जीवन सामान्य रूप से चल रहा था। इसमें दिलचस्प मोड़ तब आया, जब तक उन्हें अरविंद केजरीवाल द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ने का अवसर मिला। उस समय वह बैंगलोर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। उच्च शिक्षा के लिए IIT जाना खुद शैलेश का सपना था। लिहाजा, उन्हें अरविंद केजरीवाल जैसे एक IIT स्नातक और आईआरएस द्वारा अपना कैरियर छोड़कर जनांदोलन से जुड़ना काफी प्रेरक लगा। उन्होंने अरविंद के बारे में जितना पता लगाया, उतना ही वह उनके प्रशंसक होते गए। इस क्रम में 2013 में AAP बनी, तो शैलेश ने सक्रिय रूप से जुड़ने का फैसला किया।
चुनाव अभियान
शैलेश ने 2013 में दिल्ली जाकर विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार किया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बैंगलोर में प्रचार किया। 2015 में फिर से फ़ोन के जरिये विधानसभा चुनाव प्रचार में भाग लिया। AAP के लिए काम करते हुए शैलेश ने अपने दोस्तों और परिजनों को अपनी राजनीतिक गतिविधियों की बात छुपा रखी थी। दरअसल लोग राजनीति को बुरा समझते हैं। राजनीति में भागीदारी को भारत में सकारात्मक रूप से नहीं देखा जाता।
शैलेश ने सोशल मीडिया के माध्यम से दिल्ली सरकार और AAP को समझने का प्रयास किया। शैलेश के पास दो विकल्प थे। पहला, AAP की उपलब्धियों के बारे में अपने मित्रों और परिजनों को बताए। दूसरा, बदलाव के सपनों को पूरा करने में अरविंद और मनीष की मदद करे। शैलेश ने दूसरा विकल्प चुना। हालाँकि अन्य अनगिनत कार्यकर्ताओं की तरह अपनी नौकरी छोड़ने का जोखिम उठाना संभव नहीं था। इसलिए उन्होंने दिल्ली आकर कम वेतन पर एक कंपनी में नौकरी प्रारंभ की।
स्वयंसेवा
शैलेश के पास राजनीति या एक्टिविज्म का कोई अनुभव नहीं था। उन्होंने आतिशी से जुड़कर शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। उन्हें स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) टीम से जुड़ने का अवसर मिला।
वह जून 2016 से एसएमसी के साथ काम कर रहे हैं। आतिशी के नेतृत्व वाली केंद्रीय टीम के हब मैनेजर के तौर पर उन्हें दायित्व मिला है। लगभग तीन वर्षों तक काम का अनुभव बेहद संतोषजनक है। उन्हें लगता है कि खुद के लिए नहीं जी रहे, बल्कि वह समाज के लिए योगदान दे रहे हैं। उन्हें AAP कार्यकर्त्ता होने पर गर्व है। यह उन्हें एक उद्देश्य देता है।

एसएमसी को सक्रिय करना
शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 में स्कूल प्रबंधन समिति का प्रावधान है। देश में प्रत्येक स्कूल में एक एसएमसी है। इसमें स्कूल के प्राचार्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि और मतदान द्वारा चुने गए अभिभावक सदस्य होते हैं। लेकिन उस वक्त ज्यादातर स्कूलों में एसएमसी नहीं थी, या केवल कागज पर थी। दिल्ली में भी 2015 तक एसएमसी महज कागज पर थी। इस दौरान एक दिलचस्प घटना हुई। आतिशी के पास एसएमसी चुनावों से संबंधित एक फाइल आई। तब आतिशी ने आरटीई अधिनियम के अनुसार SMC को सक्रिय करने का फैसला किया। SMC में अभिभावकों को महत्वपूर्ण अधिकार हैं। लिहाजा, यह हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने वाली समिति है।
इस तरह, दिल्ली में एसएमसी को काफी मजबूत किया गया। यह न केवल स्कूल प्रबंधन में में सक्रिय रूप से भाग लेती है। इसने कई आयोजन भी सफलतापूर्वक किए हैं। एसएमसी के लिए पहली बार सितंबर 2015 में चुनाव हुए। उस वक्त लोग इसके बारे में जागरूक नहीं थे। इसलिए आतिशी की टीम ने अभिभावकों को जागरूक किया।
प्रत्येक एसएमसी में कुल 16 सदस्य होते हैं। स्कूल प्रिंसिपल (एसएमसी अध्यक्ष), स्कूल का एक शिक्षक (एसएमसी का संयोजक), एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, एक विधायक और 12 अभिभावक सदस्य। इन अभिभावक सदस्यों का चुनाव सारे अभिभावक मिलकर करते हैं। लेकिन यह आसान नहीं था। सरकारी स्कूलों में लगभग 70% छात्र कम आय वाले परिवारों से आते हैं। उनके माता-पिता दैनिक मजदूर, कारखाने के श्रमिक, विक्रेता, गृहस्वामी आदि के रूप में काम करते हैं। उन्हें एसएमसी में आने के लिए प्रोत्साहित करना बहुत चुनौतीपूर्ण था। ये माता-पिता कभी स्कूल प्रणाली का हिस्सा नहीं थे। उनके पास प्रबंधकीय कौशल की कमी थी। उन्हें एक मजबूत प्रशिक्षण की आवश्यकता थी।

ऐसे मामलों में टीम आतिशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एसएमसी सदस्यों को प्रशिक्षित किया। इस क्रम में निम्नलिखित संरचना विकसित की गई :
विधानसभा समन्वयक: प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक समन्वयक, जो सभी एसएमसी सदस्यों के साथ समन्वय करे। (कुल 70)
जिला समन्वयक: पांच विधानसभा स्तर पर एक जिला समन्वयक। (कुल 14)।
हब मैनेजर: सभी 14 जिलों की देखभाल के लिए कुल चार हब प्रबंधक। हब प्रबंधक आतिशी के नेतृत्व वाली केंद्रीय टीम का हिस्सा हैं।
एनजीओ: साझा नामक स्वयंसेवी संस्था पर प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री प्रदान करने का दायित्व है।

कार्यकर्ताओं की केंद्रीय टीम थिंक टैंक का काम करती है। भावी गतिविधियों की योजना बनाना, निष्पादन की निगरानी करना, प्रशिक्षण देना और आवश्यक सुधार के सुझाव देना इस टीम का दायित्व है।
एसएमसी सदस्यों का प्रशिक्षण
जो काम पहले बहुत चुनौतीपूर्ण लगता था, कार्यकर्ताओं की बदौलत वह संभव हो गया। अब लोग एसएमसी के बारे में जानते हैं। इसका सदस्य बनने के लिए अभिभावक खुद ही आगे आने लगे हैं। हालांकि, कुछ जटिलता भी आई। स्कूल प्रबंधन में प्रभावी भूमिका रखने वालों ने कई जगहों पर अभिभावक सदस्यों की उपेक्षा का प्रयास किया। कई प्रिंसिपलों ने एसएमसी सदस्यों को स्कूल प्रबंधन में भागीदारी से रोक दिया। ऐसे में मनीष सिसोदिया और आतिशी की मदद से केंद्रीय टीम ने कठोर कदम उठाए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन करने वाले स्कूल के प्रधानाचार्यों से संपर्क करके चेतावनी दी। केंद्रीय टीम ने एससीईआरटी और साझा की मदद से एसएमसी सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया।
Shailesh Srivastava with SMC members Shailesh Srivastava with SMC members Shailesh Srivastava with SMC members Shailesh Srivastava with SMC members Shailesh Srivastava with SMC members Shailesh Srivastava with SMC members
बैठकें आयोजित करना
अधिकांश एसएमसी सदस्य दैनिक मजदूरी या आय पर निर्भर होते हैं। उन्हें एसएमसी की बैठक में भाग लेने के लिए अपनी दैनिक आय का नुकसान उठाना पड़ता था। एसएमसी सदस्यों को कोई मुआवजा नहीं है। लेकिन AAP कार्यकर्ताओं के प्रयास के कारण ऐसे श्रमिकों के मालिकों ने मजदूरी में कटौती के बिना एसएमसी बैठकों में शामिल होने की अनुमति देना शुरू कर दिया। दूसरी ओर, एसएमसी सदस्यों ने भी इस तरह से बैठकें आयोजित करना शुरू कर दिया, जिससे उन्हें ज्यादा आर्थिक नुकसान न हो। उन्होंने पार्क, सार्वजनिक स्थानों, सामुदायिक हॉल, रेस्तरां और अन्य स्थानों पर सबकी सुविधा के अनुसार बैठकें आयोजित कीं। हालाँकि अब भी कुछ सदस्यों को बैठक के कारण आर्थिक क्षति हो रही है। लेकिन अपने बच्चों के लिए वे यह कीमत चुकाने को तैयार हैं।
एसएमसी सदस्यों का सम्मान
AAP सरकार ने सभी एसएमसी सदस्यों को सम्मानित करने का अभियान शुरू किया। प्रत्येक विधानसभा स्तर पर “एसएमसी सम्मान समारोह” होता है। इसमें सदस्यों को एक प्रमाणपत्र और एक शील्ड दिया जाता है। इस कार्यक्रम में सभी एसएमसी सदस्य शामिल होते हैं। वे अपने अनुभव साझा करते हैं। साथ ही, एसएमसी को सफल बनाने का संकल्प लेते हैं।
इस तरह, दिल्ली की शिक्षा क्रांति में एसएमसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे निम्न रूप में देखा जा सकता है :
- सफाई अभियान : दिल्ली में AAP की सरकार बनने के वक्त सरकारी स्कूलों की हालत बहुत खराब थी। स्कूल परिसर के अधिकांश इलाके गंदे थे। सरकार ने एक ऐप बनाया। एसएमसी सदस्यों को स्कूल में कहीं गंदगी दिखने पर उसकी तस्वीर भेजने को कहा गया। फोटो को संबंधित अधिकारी और स्कूल प्रिंसिपल को भेज दिया जाता। इस तरह ऐसी गंदगी की सफाई होने लगी।
- समर कैंप : एसएमसी सदस्यों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में समर कैंप आयोजित करने का जिम्मा लिया। वे स्कूलों में गए, शिक्षकों और प्रधानाचार्यों से बात की और स्कूलों में समर कैंप कराए।
- रीडिंग मेला : एसएमसी सदस्यों ने विद्यार्थियों की पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए मेला का आयोजन किया। उन्होंने सरकार से कोई वित्तीय सहायता लिए बगैर यह आयोजन किया। पार्क, कॉलोनियों, सामुदायिक केंद्रों, घरों और अन्य खुले क्षेत्र में रीडिंग मेला का आयोजन किया गया। तीन महीने की अवधि में रविवार के दिन एक हजार से अधिक रीडिंग मेलों का आयोजन किया गया था।
- नामांकन अभियान : एसएमसी सदस्यों को स्कूल में नामांकन प्रक्रिया बताई गई। उन्होंने अपने स्थानीय क्षेत्र में नामांकन अभियान चलाया। नामांकन में मदद के लिए स्कूल में हेल्पडेस्क भी बनाए गए जिसमें समिति की प्रमुख भूमिका रही।
- मध्याह्न भोजन : एसएमसी सदस्यों ने सरकारी स्कूलों में परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन में भी काफी सुधार किया।
- मेगा पीटीएम : एसएमसी सदस्यों ने अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर अभिभावकों से बात की, मेगा पीटीएम का लाभ बताया और इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
- एसएमसी अभिभावक बैठक : एसएमसी सदस्यों ने एसएमसी की भूमिका समझाने और फीडबैक लेने के लिए अन्य अभिभावकों के साथ बैठकें कीं।
एसएमसी फंड
इस प्रयोग को आगे बढ़ाने AAP सरकार ने प्रत्येक स्कूल को न्यूनतम पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देना शुरू किया है। एसएमसी इस राशि के उपयोग की योजना बनाती है। स्कूल में पुस्तकालय, संविदा शिक्षक की बहाली, फर्नीचर की खरीद और नई परियोजनाओं के निर्माण के लिए धन का उपयोग होता है। इतना एसएमसी फंड देश भर में केवल दिल्ली सरकार दे रही है। हालाँकि विभिन्न राज्यों में सरकारी स्कूल को “विकास फंड” के नाम पर नगण्य राशि मिलती है।
स्वराज
दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल ने मोहल्ला सभा के जरिये स्वराज का प्रयोग करना चाहा। लेकिन दुखद है केंद्र सरकार ने स्वराज विधेयक को लागू नहीं होने दिया। अगर एसएमसी को देखें, तो यह स्वराज का ही एक प्रयोग है। केंद्रीय टीम ने ‘साझा’ के सहयोग से हरेक विधानसभा क्षेत्र में “एसएमसी महासभा” का आयोजन किया। इसका संचालन स्थानीय विधायक करते हैं। इसमें स्कूल से सम्बंधित विभिन्न विभागों के सभी अधिकारी शामिल होते हैं। महासभा में एसएमसी के सदस्य अपने स्कूलों से जुडी शिकायतों पर संबंधित अधिकारी से रिपोर्ट मांगते हैं। इस तरह, यह महासभा एसएमसी सदस्यों को सशक्त बना रही है। अभिभावकों को यह संतोष होता है कि वे स्कूलों की बेहतरी में योगदान दे रहे हैं। इस तरह, पिछले तीन वर्षों से SMC में स्वराज मॉडल का परीक्षण किया जा रहा है।

इस तरह, सरकारी शिक्षा में यह बड़ी क्रांति है। हमारा सिस्टम वर्षों की बदहाली से सड़ चुका है। एसएमसी तथा AAP के निस्वार्थ कार्यकर्ताओं को सलाम, जिन्होंने इसे संभव बनाया। एक सरकार किसी परियोजना पर लाखों खर्च करती है, लेकिन जब तक नागरिक उसका उपयोग न समझें, तब तक परियोजना नाकाम रहती है।
शैलेश जैसे कार्यकर्त्ता इस खाई को भर रहे हैं, एक ऐसे बदलाव का वाहक बन रहे हैं, जिसकी उम्मीद आम आदमी पार्टी से की गई थी।
शैलेश श्रीवास्तव की आप का रेडियो के साथ बातचीत का वीडियो आप यहाँ देख सकते है